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Bhoot ki kahani

स्वाइन फ्लू से बचने के आयुर्वेदिक उपाय

एक गाँव मे हर अमावस्या की रात को एक भूत समोसा बेचने निकलता था। आधी रात होते ही भूत समोसे से भरी टोकरी सर पर […]

उस स्टेशन पर ज्यादा पैसेंजर भी वेट नहीं करते थे। शहर की आबादी भी कम थी। रमेश इस बात से काफी नाराज था कि उसका ट्रांसफर ऐसी वीरान जगह पर कर दिया गया। एक रात रमेश खुद से ही बड़बड़ाता हुआ चला जा रहा था। क्या मुसीबत है?

और सब लोग एक साथ ही बैठना याद रहे की कोई अकेले कहीं उठकर नहीं जाएगा।

प्रसाद ने रमेश उसकी घबराहट की वजह पूछी तो रमेश संत खड़ा था। अरे रमेश, क्या हुआ? इतना घबराए हुए क्यों हो? प्रसाद ने उसे बताया कि आज उसे आने में देरी हो गई, क्योंकि उसकी पत्नी की तबीयत खराब हो गई थी। यह बात सुनकर रमेश को धक्का लगा। वह भागता हुआ रूम में गया। उसने देखा कि प्रसाद डेस्क पर बैठा हुआ था और अपना काम कर रहा था। उसने कमरे से बाहर जाकर देखा तो वहां कोई भी नहीं था।

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और तभी मुझे याद आया कि वो जो चिट्ठी आई थी। उसमें उसका पता तो होगा।

तब उनकी पत्नी ने उन्हें एक अघोरी बाबा को दिखाया . और अघोरी की समझ में सारी बातें आ गई। उसने कहा कि इन्होंने चार रास्ते पर पड़े समान को उठा लिया था । यह उसी का नतीजा है । लाल सिंह की पत्नी ने पूछा कैसे तब अघोरी ने बताया .

बच्चों ने मिलकर उस मंत्र को पड़ना शुरू किया। अचानक से एक रोशनी घर के अंदर आई और उस भुत को साथ ले गई। भुत के घर से बाहर जातेहि घर के सारे दरवाजे और खिड़कियां अपने आप खुल गई और बच्चे दौर कर बाहर निकल आये।

अब तो मानो शरीर का खून भी सूख गया था। उसी समय हमारी एक सहेली को खून की उल्टियां होने लगी। उसको छोड़ कर हम लोग भाग भी नहीं सकते थे। इतने में एक टीचर ने बोला। सब लोग आग जलाकर उसके सामने बैठ जाओ.

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